जब दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर चर्चा नई-नई थी, तभी जर्मनी ने 1999 में अपने रेलवे सिस्टम में AI तकनीक को शामिल कर लिया था। जर्मन रेलवे (Deutsche Bahn) पिछले 26 वर्षों से AI आधारित सिस्टम के ज़रिए ट्रेन संचालन, ट्रैक निगरानी और टाइम टेबल मैनेजमेंट जैसी ज़िम्मेदारियाँ निभा रहा है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह रहा है कि इन 26 वर्षों में कोई बड़ा ट्रेन एक्सीडेंट दर्ज नहीं किया गया।
AI कैसे करता है काम
AI सिस्टम सेंसर और डेटा एनालिटिक्स की मदद से रीयल-टाइम में ट्रेनों की स्थिति पर नजर रखता है, ट्रैक में आई दरारों या गड़बड़ियों का पहले से पूर्वानुमान लगाता है और ट्रेन की गति, दूरी और समय का सटीक निर्धारण करता है। इसके चलते न केवल संचालन में सटीकता आई है, बल्कि सुरक्षा भी अभूतपूर्व रूप से बढ़ी है।
सुरक्षा रिकॉर्ड
जर्मनी में AI के माध्यम से नियंत्रित रेलवे नेटवर्क में किसी भी प्रकार की बड़ी दुर्घटना का न होना इस तकनीक की विश्वसनीयता को साबित करता है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, मानव-त्रुटियों की संभावना को AI ने लगभग समाप्त कर दिया है।
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भारत में शुरुआत
अब भारतीय रेलवे भी AI तकनीक को अपनाने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है। हाल ही में कुछ जोन में ट्रैक निरीक्षण, कोच की मरम्मत और भीड़ नियंत्रण के लिए AI पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं। भारत के विभिन्न रेलवे ज़ोन जैसे दक्षिण मध्य, पश्चिम और पूर्वोत्तर फ्रंटियर रेलवे में AI के प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। रेलवे मंत्रालय का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में AI का व्यापक उपयोग शुरू किया जाए।
विशेषज्ञों की राय
रेलवे विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि भारत जर्मनी की तरह लंबे समय तक निरंतरता के साथ AI तकनीक को अपनाए, तो न केवल संचालन की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि दुर्घटनाओं में भी उल्लेखनीय कमी लाई जा सकेगी।
जर्मनी का यह अनुभव भारत के लिए एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है, जो तकनीक को जनता की सुविधा और सुरक्षा के लिए कैसे सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा सकता है, इसका उदाहरण है।