Health : खाने में अच्छी नहीं लगती हरी दिखने वाली यह सब्जी, कई बीमारियों में है लाभकारी

Health : गर्मी के मौसम में मिलने वाली हरी सब्जी जो कई लोगों को खाने में अच्छी नहीं लगती। लेकिन इसको खाने से कई बीमारियों से राहत मिलती है। ये सब्जी एशिया, अफ्रीका और कैरिबियन में आमतौर पर पाई जाने वाली सब्जी है। तो चलिए उस सब्जी के बारे में विस्तार से जानते हैं –

तोरई लौकी के परिवार का ही सदस्य है, जो ककड़ी और कद्दू से संबंधित है। इस सब्जी का नाम तोरई उसकी लंबाई के साथ चलने वाली लकीरों से मिला है। यह आमतौर पर लंबी और संकरी होती है, जिसकी ऊपरी सतह हरे रंग की होती है। ये सख्त और रेशेदार होती है। वहीं सब्जी के अंदर का भाग सफेद और काफी नरम होता है, जिसमें छोटे बीज होते हैं।

तोरई की सब्जी खाने के कई फायदे

तोरई या तुरई या तोरी एक प्रकार की सब्जी होती है और इसकी खेती भारत में सभी स्थानों पर की जाती है। पोषक तत्वों के अनुसार इसकी तुलना नेनुए से की जा सकती है। वर्षा ऋतु में तोरई की सब्जी का प्रयोग भोजन में अधिक किया जाता है। तोरई मीठी व कड़वी दो तरह की होती है इसकी प्रकृति ठंडी और तर होती है।

तुरई को आदिवासी विभिन्न रोगों के उपचार के लिए उपयोग में लाते हैं। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तमाल भी करते हैं।

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तोरई या तुरई या तोरी के अद्भुत फायदे 

फोड़े की गांठ : तोरई की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर फोड़े की गांठ पर लगाने से 1 दिन में फोड़े की गांठ खत्म होने लगती है।

चकत्ते : तोरई की बेल गाय के मक्खन में घिसकर 2 से 3 बार चकत्ते पर लगाने से लाभ मिलता है और चकत्ते ठीक होने लगते हैं।

पेशाब की जलन : पेशाब की जलन और पेशाब की बीमारी को दूर करने में लाभकारी होती है।

आंखों के रोहे तथा फूले : आंखों में रोहे (पोथकी) हो जाने पर तोरई (झिगनी) के ताजे पत्तों के रस को निकालकर रोजाना 2 से 3 बूंद दिन में 3 से 4 बार आंखों में डालने से लाभ मिलता है।

बालों को काला करना : तुरई के टुकड़ों को छाया में सुखाकर कूट लें। इसके बाद इसे नारियल के तेल में मिलाकर 4 दिन तक रखें और फिर इसे उबालें और छानकर बोतल में भर लें। इस तेल को बालों पर लगाने और इससे सिर की मालिश करने से बाल काले हो जाते हैं।

डायबिटीज़ में फायदा : तुरई में इंसुलिन की तरह पेप्टाइड्स पाए जाते हैं। इसलिए सब्ज़ी के तौर पर इसके इस्तेमाल से डायबिटीज़ में फायदा होता है।

दाद, खाज और खुजली से राहत : तुरई के पत्तों और बीजों को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाने से दाद, खाज और खुजली जैसे रोगों में आराम मिलता है। ये कुष्ठ रोगों में भी हितकारी होता है।

पेट दर्द दूर होता है : अपचन और पेट की समस्याओं के लिए तुरई की सब्जी बेहद कारगर इलाज है। डांगी आदिवासियों के अनुसार, अधपकी सब्जी पेट दर्द दूर कर देती है।

बवासीर (अर्श) : तोरई की सब्जी खाने से कब्ज ठीक होती है और बवासीर में आराम मिलता है। कड़वी तोरई को उबाल कर उसके पानी में बैंगन को पका लें। बैंगन को घी में भूनकर गुड़ के साथ भर पेट खाने से दर्द तथा पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं।

लिवर के लिए गुणकारी : आदिवासी जानकारी के अनुसार, लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बेहद हितकर होता है। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी होता है।

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