Varanasi : पुलिस कमिश्नरेट में हड़कंप मच गया है। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल के सख्त परफॉर्मेंस रिव्यू में 180 दरोगा बुरी तरह फेल हो गए। जिसका नतीजा यह हुआ कि इन सभी को तत्काल प्रभाव से पुलिस लाइंस अटैच कर दिया गया है। अब इन दरोगाओं को पुलिसिंग का ककहरा दोबारा सिखाया जा रहा है। चार बैच में बंटकर ये दरोगा सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक कठिन प्रशिक्षण से गुजरेंगे। इस ट्रेनिंग में 4 IPS, 3 ASP और 6 ACP जैसे सीनियर अधिकारी इनकी क्लास लेंगे।
क्यों हुई इतनी किरकिरी?
पुलिस कमिश्नर ने पहली बार कमिश्नरेट के सब-इंस्पेक्टरों की परफॉर्मेंस का बारीकी से मूल्यांकन किया। रिव्यू में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। 589 दरोगाओं में से 180 का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। 107 दरोगाओं को तो हर सवाल में डबल जीरो मिला। कई दरोगा जनता की शिकायतों (IGRS और CM विंडो) पर ध्यान नहीं देते, FIR लिखने में नाकाम रहे और नॉन-बेलेबल वारंट (NBW) में एक भी गिरफ्तारी नहीं कर पाए। 550 दरोगाओं ने त्वरित कार्रवाई में लापरवाही दिखाई जबकि 400 से ज्यादा ने कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया।
ट्रेनिंग का कड़ा शेड्यूल
फेल हुए दरोगाओं को अब अनुशासन, व्यवहार और पुलिसिंग के गुर सीखने होंगे। रविवार देर रात 45 दरोगाओं ने पुलिस लाइंस में अपनी आमद दर्ज कराई। सोमवार की सुबह 6 बजे से परेड ग्राउंड में इनकी ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है। पहले दिन दरोगाओं ने परेड, दौड़ और हथियारों (पिस्टल, इंसास, थ्री नॉट थ्री) को खोलने-जोड़ने का अभ्यास किया। इसके बाद श्रमदान में भी हिस्सा लिया।
दिन का शेड्यूल मिनट-टू-मिनट तैयार किया गया है –
11:00 AM – 12:15 PM: CM डैशबोर्ड की बारीकियां सिखाई गईं।
12:30 PM – 1:30 PM: IGRS के निस्तारण की प्रक्रिया और महत्व समझाया गया।
2:30 PM – 3:30 PM: नए भारतीय कानून (BNS, BNSS, BSA) और उनके संशोधनों की जानकारी दी गई।
5:00 PM – 7:00 PM: दशाश्वमेध सर्किल में फुट पेट्रोलिंग का अभ्यास।
आठ बिंदुओं पर फोकस
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पुलिस कमिश्नर ने प्रशिक्षण के लिए आठ प्रमुख बिंदु तय किए हैं –
CM डैशबोर्ड का प्रभावी उपयोग।
IGRS शिकायतों का त्वरित निस्तारण।
हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी।
साइबर अपराध के नए ट्रेंड।
नए कानून (BNS, BNSS, BSA) की समझ।
विवेचना और सीन क्रिएशन की तकनीक।
जनता से संवाद और व्यवहार।
अनुशासन और संगठनात्मक क्षमता।
इसके लिए ADCP काशी सरवणन टी, ADCP वरुणा जोन नीतू कादयान, ADCP क्राइम श्रुति श्रीवास्तव, ADCP प्रोटोकॉल सतीश कुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों की टीम जिम्मेदारी संभालेगी।
आगे क्या होगा?
तीन दिन की कड़ी ट्रेनिंग के बाद इन दरोगाओं का दोबारा रिव्यू होगा। जो दोबारा फेल होंगे, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तलवार लटक रही है। अगले महीने तक इनके कामकाज की समीक्षा के बाद ही नई तैनाती मिलेगी।
चुनौती और सबक
यह पहल न केवल दरोगाओं के लिए सबक है, बल्कि कमिश्नरेट की कार्यप्रणाली को और चुस्त-दुरुस्त करने का प्रयास भी है। ट्रेनिंग से न सिर्फ दरोगाओं की स्किल्स निखरेंगी, बल्कि अधिकारियों की प्रशिक्षण क्षमता भी परखी जाएगी। वाराणसी पुलिस अब जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए कमर कस रही है। क्या यह सख्ती पुलिसिंग में नया रंग लाएगी? फिलहाल ये तो वक्त ही बताएगा।