पाकिस्तान के लिए जासूसी? Jyoti Malhotra के अयोध्या-काशी विश्वनाथ दौरे ने बढ़ाई चिंता

हरियाणा की मशहूर यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra), जिनके ट्रैवल व्लॉग्स ने लाखों लोगों का दिल जीता, आज एक सनसनीखेज मामले की वजह से सुर्खियों में हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में उनकी गिरफ्तारी ने देश को चौंका दिया है। लेकिन इस कहानी में एक नया और चौंकाने वाला मोड़ तब आया, जब पता चला कि ज्योति ने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के ठीक अगले दिन, यानी 23 जनवरी 2024 को वहां का दौरा किया था। क्या यह महज एक ट्रैवल व्लॉग की शूटिंग थी या इसके पीछे कोई गहरी साजिश थी?

राम मंदिर की रेकी? संदिग्ध गतिविधियों ने बढ़ाई चिंता

जांच एजेंसियों के मुताबिक, ज्योति मल्होत्रा का अयोध्या दौरा कोई साधारण यात्रा नहीं थी। वह राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तुरंत बाद अयोध्या पहुंची थीं, जहां उन्होंने हनुमानगढ़ी, कनक भवन, सरयू तट और नया घाट जैसे महत्वपूर्ण स्थानों के वीडियो बनाए। खुफिया एजेंसियों को शक है कि ये वीडियो सिर्फ सोशल मीडिया कंटेंट के लिए नहीं, बल्कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर रेकी के लिए बनाए गए थे। इन वीडियो में न केवल धार्मिक स्थलों की भव्यता दिखाई गई बल्कि सुरक्षा व्यवस्था, यातायात और श्रद्धालुओं की गतिविधियों को भी विस्तार से दिखाया गया।

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह मामला बेहद गंभीर माना जा रहा है। अयोध्या, जो राम मंदिर की वजह से पहले ही वैश्विक ध्यान का केंद्र है, अब इस खुलासे के बाद और सतर्क हो गई है। जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि ज्योति ने इन स्थानों पर किन-किन लोगों से मुलाकात की और क्या उनकी गतिविधियों में किसी स्थानीय व्यक्ति की भूमिका थी।

सीसीटीवी फुटेज और गहन जांच

ज्योति की अयोध्या यात्रा की खबर सामने आने के बाद पुलिस और खुफिया एजेंसियों में हड़कंप मच गया है। अयोध्या के होटल, रेस्टोरेंट और मंदिरों के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ज्योति ने वहां कितने समय तक रुककर किन लोगों से संपर्क किया। साथ ही, यह भी जांच का विषय है कि क्या किसी अयोध्यावासी ने अनजाने में उनकी मदद की।

काशी विश्वनाथ और अन्य धार्मिक स्थल भी निशाने पर?

ज्योति की गतिविधियां सिर्फ अयोध्या तक सीमित नहीं थीं। खबरों के मुताबिक, उन्होंने पिछले छह महीनों में तीन बार वाराणसी का दौरा किया और काशी विश्वनाथ धाम, गंगा घाट और अन्य संवेदनशील स्थानों के वीडियो बनाए। इसके अलावा, उनके यूट्यूब चैनल ‘Travel With Jo’ पर प्रयागराज, मथुरा, वृंदावन और चार धाम यात्रा के वीडियो भी मौजूद हैं। जांच एजेंसियों को शक है कि इन वीडियो के जरिए संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान को भेजी गई हो सकती है।

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पाकिस्तान कनेक्शन और जासूसी का जाल

ज्योति मल्होत्रा को हरियाणा के हिसार में पुलिस ने हिरासत में लिया है, जहां उनसे एनआईए, आईबी और हरियाणा पुलिस की क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम पूछताछ कर रही है। पूछताछ में ज्योति ने कई अहम खुलासे किए हैं, हालांकि एजेंसियों का मानना है कि वह कुछ बातें छिपाने और जांच को गुमराह करने की कोशिश कर रही हैं।

जांच में सामने आया है कि ज्योति 2023 में दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन गई थीं, जहां उनकी मुलाकात एक अधिकारी, अहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश से हुई। इसके बाद उन्होंने दो बार पाकिस्तान की यात्रा की, जहां दानिश के परिचित अली अहवान ने उनके रहने और घूमने की व्यवस्था की। दानिश को 13 मई 2025 को भारत सरकार ने जासूसी के आरोप में निष्कासित कर दिया था। ज्योति पर आरोप है कि वह व्हाट्सएप, स्नैपचैट और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए पाकिस्तानी एजेंटों के संपर्क में थी और संवेदनशील जानकारी साझा कर रही थी।

पाकिस्तान की छवि सुधारने का खेल

ज्योति पर न केवल जासूसी, बल्कि अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए पाकिस्तान की सकारात्मक छवि बनाने का भी आरोप है। उनके यूट्यूब चैनल पर 3.77 लाख सब्सक्राइबर और इंस्टाग्राम पर 1.33 लाख फॉलोअर्स हैं, जिनके जरिए उन्होंने पाकिस्तान के पक्ष में प्रचार किया। जांच एजेंसियां उनके बैंक खातों और यात्रा इतिहास की भी जांच कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्हें फंडिंग कहां से मिल रही थी।

सवालों के घेरे में ज्योति की मंशा

ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या एक लोकप्रिय यूट्यूबर की आड़ में वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गई थी? क्या उनके वीडियो सिर्फ ट्रैवल व्लॉग थे या इसके पीछे कोई बड़ा मकसद था? अयोध्या और काशी जैसे धार्मिक स्थलों की उनकी यात्राएं और वहां बनाए गए वीडियो अब संदेह के दायरे में हैं।

ज्योति का मामला न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सोशल मीडिया के इस युग में कैसे प्रभावशाली लोग अनजाने में या जानबूझकर गलत मंसूबों का हिस्सा बन सकते हैं। जांच एजेंसियां अब इस जासूसी नेटवर्क के हर पहलू को खंगाल रही हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता न हो।

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