भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2025 को “गगनयान वर्ष” के रूप में मना रहा है, जो भारत के अंतरिक्ष इतिहास में स्वर्णिम अध्याय रचने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने हाल ही में कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में इस महत्वाकांक्षी मिशन की तैयारियों का खुलासा करते हुए कहा, “यह साल हमारे लिए बेहद खास है। गगनयान मिशन के तहत हम भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता से लैस करने जा रहे हैं।”
युद्ध स्तर पर चल रही तैयारियाँ तेज
गगनयान मिशन, जिसे दिसंबर 2018 में मंजूरी मिली थी, भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है जो स्वदेशी तकनीक से अंतरिक्ष में इंसान भेज सकते हैं। इसरो ने अब तक 7200 से अधिक टेस्ट पूरे कर लिए हैं, जबकि 3000 टेस्ट अभी शेष हैं। दिन-रात चल रही युद्ध स्तर की तैयारियों के बीच इसरो का लक्ष्य है कि दिसंबर 2025 में “व्योममित्र” नामक ह्यूमनॉइड रोबोट के साथ पहला मानवरहित मिशन लॉन्च किया जाए। इसके बाद दो और मानवरहित मिशन होंगे जो 2027 की पहली तिमाही में मानवयुक्त मिशन की नींव रखेंगे।
नारायणन ने उत्साह के साथ बताया, “लगभग हर महीने एक लॉन्च निर्धारित है। हमारा लक्ष्य 2027 तक पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में भेजना है।” गगनयान मिशन की सफलता भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा ऐसा देश बना देगी, जो अपनी तकनीक से मानव को अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम होगा।
SpaDeX- तकनीकी चमत्कार
हाल ही में पूरे हुए SpaDeX मिशन ने इसरो की तकनीकी दक्षता को एक बार फिर साबित किया है। इस किफायती मिशन में दो छोटे सैटेलाइट्स को PSLV रॉकेट से प्रक्षेपित कर अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का सफल प्रदर्शन किया गया। नारायणन ने गर्व से बताया कि इस मिशन के लिए निर्धारित 10 किलो ईंधन में से केवल 5 किलो का उपयोग हुआ, जिससे बचा हुआ ईंधन भविष्य के प्रयोगों के लिए उपलब्ध होगा। यह उपलब्धि इसरो की संसाधन दक्षता और नवाचार की मिसाल है।
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2025 का भव्य रोडमैप
2025 में इसरो का कैलेंडर मिशनों से भरा हुआ है। गगनयान के अलावा, NASA-ISRO संयुक्त सिंथेटिक अपर्चर रडार सैटेलाइट का लॉन्च, एक कॉमर्शियल मिशन और संचार सैटेलाइट प्रक्षेपण भी शामिल हैं। नारायणन ने बताया कि इसरो अपने अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना की दिशा में भी काम कर रहा है, जो भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
अंतरिक्ष से राष्ट्रीय सुरक्षा तक
इसरो न केवल अंतरिक्ष अन्वेषण में बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और जन कल्याण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नारायणन ने बताया कि वर्तमान में 57 सैटेलाइट कक्षा में हैं जो मौसम पूर्वानुमान, शिक्षा और दूरदराज के क्षेत्रों में संचार सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। भारत की 11,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और उत्तरी सीमाओं की निगरानी में भी ये सैटेलाइट्स अहम योगदान दे रहे हैं।
हाल ही में PSLV-C61 मिशन की विफलता को इसरो प्रमुख ने एक अपवाद बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह असफलता गगनयान जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को प्रभावित नहीं करेगी। इसरो का आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प इसे अंतरिक्ष की दुनिया में एक उभरती महाशक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है।
भारत का अंतरिक्ष सपना
गगनयान मिशन और अंतरिक्ष स्टेशन की योजना भारत के अंतरिक्ष सपनों को साकार करने की दिशा में मील के पत्थर साबित होंगे। इसरो की यह यात्रा न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि एक आत्मनिर्भर भारत की भावना को भी दर्शाती है। 2025 में गगनयान वर्ष के साथ भारत अंतरिक्ष की नई ऊँचाइयों को छूने के लिए तैयार है और दुनिया इस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनेगी।