Varanasi : जिले के कादीपुर की एक 54 वर्षीय मां ने ममता की ऐसी मिसाल पेश की, जो हर दिल को छू जाए। अपने 21 वर्षीय बेटे को क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) की जकड़ में तड़पता देख, मां ने न सिर्फ उसका हौसला बढ़ाया, बल्कि अपनी एक किडनी देकर उसे नई जिंदगी भी दी। पिछले एक साल से डायलिसिस पर जूझ रहे बेटे के लिए यह मां किसी फरिश्ते से कम नहीं बनी।
BHU में रचा गया इतिहास
शुक्रवार को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल में एक चार घंटे की जटिल सर्जरी ने इस मां-बेटे की कहानी को नया मोड़ दिया। प्रो. एसएन संखवार की अगुवाई में डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम ने मां की किडनी को बेटे के शरीर में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया। यह BHU का पांचवां सफल किडनी ट्रांसप्लांट था और अब मां-बेटा दोनों स्वस्थ और खुशहाल हैं।
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डॉक्टरों ने भी गाया ममता का गान
ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम ने मां के जज्बे को सलाम किया। डॉ. संखवार ने कहा, “यह ममता का अनुपम उदाहरण है जो न केवल भावनाओं को झकझोरता है बल्कि समाज को अंगदान के प्रति प्रेरित भी करता है।” यह कहानी सिर्फ एक मां के त्याग की नहीं, बल्कि एक परिवार की हिम्मत और चिकित्सा विज्ञान की जीत की भी गवाही देती है।
प्रेरणा का संदेश
इस मां की हिम्मत और BHU की मेडिकल टीम की मेहनत ने न सिर्फ एक बेटे को नया जीवन दिया, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि प्यार और दान की ताकत से हर मुश्किल को हराया जा सकता है। यह कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किल वक्त में उम्मीद की किरण ढूंढ रहा है।